कांग्रेस के वरिष्ठ नेता और पंजाब सरकार में नेता विपक्ष प्रताप सिंह बाजवा ने प्रधान मंत्री नरेंदर मोदी से कई सवाल पूछे है जो इस तरह है
प्रधानमंत्री जी किसानों से नाराज़ क्यों हैं?
हमारे प्रधानमंत्री हमारे अन्नदाता को किस गलती की सजा दी जा रही है?
देश के प्रधानमंत्री देशवासियों के प्रति इतने निष्ठुर क्यों हैं?
खनौरी बॉर्डर पर युवा किसान शुभकरण सिंह की हरियाणा पुलिस की फ़ायरिंग में मौत हो गई; एक और नौजवान किसान प्रीतपाल सिंह पुलिस की बर्बरता के फलस्वरूप पीजीआई, चंडीगढ़ में ज़िंदगी और मौत के बीच झूल रहा है; क़रीब 200 किसान घायल हैं। लेकिन देश के प्रधानमंत्री ने एक भी शब्द नहीं बोला। संवेदना तक प्रकट नहीं की है, हालांकि उनसे ऐसी उम्मीद करना भी बेमानी है। पिछली बार 700 से अधिक किसानों ने बलिदान दिया था; सत्यपाल मलिक के मुताबिक उन्होंने इस पर कहा था- क्या 700 किसान मेरे लिए मरे हैं?
मोदी सरकार दोहरे मापदंड अपना रही है, वह किसानों को अनुचित आंदोलनकारियों के रूप में पेश करना चाहती है। किसानों के ख़िलाफ़ ज़हर उगलने वाले सोशल मीडिया हैंडल्स के ख़िलाफ़ सरकार की ओर से कोई कार्रवाई नहीं होती, बल्कि उन्हें बढ़ावा मिलता है। बीजेपी नेता शुभेंदु अधिकारी, अनंत हेगड़े सिख आईपीएस अधिकारी को ‘खालिस्तानी’ बोल देते हैं। भाजपा व मोदी जी को अपने नेताओं के खिलाफ कार्रवाई करनी चाहिए थी पर वे चुप हैं। उनकी चुप्पी से प्रोत्साहित होकर ही भाजपा का इकोसिस्टम और अंधभक्त किसानों को देशद्रोही, नक्सली और खालिस्तानी बताता है, लेकिन प्रधानमंत्री एक शब्द नहीं बोलते हैं। वो एक प्रधानमंत्री को समझना चाहिए कि वे देश के प्रधानमंत्री हैं, सिर्फ़ भाजपा के एक नेता नहीं हैं। उन्हें राजनीतिक सत्ता के लिए देश को बाँटने का कोई हक़ नहीं है।
जब से कांग्रेस ने एमएसपी की लीगल गारंटी देने का वादा किया है, मोदी का प्रचार तंत्र और सरकार को समर्पित मीडिया एमएसपी पर झूठ फैला रहा है कि ऐसा करना केंद्र सरकार के लिए संभव नहीं है। जबकि वैश्विक एनेलिटिक्स कंपनी CRISIL की रिपोर्ट के अनुसार किसानों को एमएसपी देने से एक साल में सिर्फ़ 21,000 करोड़ रु. का अतिरिक्त भार पड़ता, जो कि कुल बजट का मात्र 0.4% है। जो एमएसपी को लेकर भ्रांतियां फैला रहे हैं, वे किसानों का अपमान कर रहे हैं।
मोदी सरकार ने अमीरों का 14 लाख करोड़ रु. का बैंक ऋण माफ़ किया है और कॉर्पोरेट्स को 1.8 लाख करोड़ रु. की वार्षिक कर राहत दी है, लेकिन किसानों पर छोटा सा खर्च भी भारी पड़ रहा है। हमारे देश की रीढ़ किसानों की मेहनत के दम पर ही भारत कृषि क्षेत्र में आत्मनिर्भर बना है।
एमएसपी की गारंटी मतलब राष्ट्रीय समृद्धि की गारंटी – किसान कृषि मूल्य नीति में परिवर्तन चाहते हैं। देशभर में उचित मूल्य सुनिश्चित करने के लिए सभी 23 फसलों के लिए एमएसपी की गणना की आवश्यकता है। इससे कृषि में निवेश और उत्पादन को बढ़ावा मिलेगा, ग्रामीण मांग बढ़ेगी, आयात में कटौती करने में मदद मिलेगी, सरकार के खर्च में कमी आएगी और फसलों के विविधीकरण को भी बढ़ावा मिलेगा। किसानों पर कर्ज का बोझ घटेगा, इस फ़ैसले से देश की अर्थव्यवस्था में पैसा आएगा और किसान ख़ुशहाल होगा।
एमएसपी गारंटी से भारत के किसान जीडीपी वृद्धि में सहयोग ही करेंगे…. बजट पर बोझ नहीं बनेंगे।
केंद्र सरकार C2+50% फॉर्मूले पर आधारित एमएसपी की लंबे समय से चली आ रही मांग से ध्यान हटाने की कोशिश कर रही है, जिसका वादा भाजपा ने 2014 के लोकसभा चुनाव घोषणापत्र में किया था।
तीन कृषि कानूनों को रद्द करते समय केंद्र सरकार ने किसानों से वादा किया था कि एमएसपी पर कानून लाया जाएगा। इसके लिए एक कमेटी भी बनी, लेकिन उसने कुछ नहीं किया। ऐसे में किसानों के पास आंदोलन का ही विकल्प बचा।
किसानों के प्रदर्शन को लेकर एक भ्रम यह भी फैलाया जा रहा है कि केवल पंजाब और हरियाणा के किसाऩ ही इसमें शामिल हैं और वे उनकी मांगें केवल अपने लिए ही हैं। इस आंदोलन को पूरे देश के किसानों का सहयोग व समर्थन है।
मोदी सरकार के की ग़लत नीतियों के कारण किसानों पर कर्ज़ा बढ़ता जा रहा है। भाजपा सरकार के कार्यकाल में किसानों पर कर्ज़ 9 लाख करोड़ रु. से बढ़कर 23.8 लाख करोड़ रु. हो गया है। यूपीए कार्यकाल में एमएसपी में औसतन 100% वृद्धि हुई, जबकि मोदी सरकार के शासन में एमएसपी में 30-40% ही औसतन वृद्धि हुई।
किसानों की आय को लेकर भी दुष्प्रचार किया जाता है। जबकि हाल ही में सरकार द्वारा जारी किए गए Household Consumption Expenditure Survey के मुताबिक किसानों की मासिक आमदनी ग्रामीण भारत की औसत आमदनी से कम है।
2013-19 के बीच कृषि पर निर्भर परिवारों की औसत मासिक आय में सबसे कम वृद्धि हुई।
मोदी जी आजकल हर जगह अपनी गारंटी की बात करते हैं, भविष्य की बात करने से पहले वे अपनी पुरानी गारंटी को पूरा करते हुए एमएसपी पर क़ानून बनाएं। लेकिन लगता है वे ज़िद पर अड़े हैं और उनकी मंशा यह है कि चुनावों की घोषणा होने और आचार संहिता लागू होने तक किसानों को तारीख़ पर तारीख़ देकर टालते रहें।
मोदी सरकार अपने वादे से मुकरती है तो ‘इंडिया’ सरकार बनने के बाद एमएसपी को क़ानूनी गारंटी का वादा कांग्रेस ज़रूर पूरा करेगी, किसानों के साथ न्याय करेगी