खरड़ 28 फरवरी
पंजाब में हिन्दुओं की आबादी करीब 39% है इस लिए पंजाब में हिन्दू अल्पसंख्यक हैं। 2002 के TMA Pai Foundation मामले में सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि राज्य की आबादी के अनुपात में ही किसी समुदाय को अल्पसंख्यक मानने या न मानने का फैसला हो। लेकिन 2024 तक पंजाब में हिन्दू अल्पसंख्यक हैं इसके लिए राज्य सरकारों ने कोई गाइडलाइन तैयार नहीं की।
पंजाब के मुख्यमंत्री जी को एक निवेदन पत्र भेज अंतरराष्ट्रीय हिन्दू परिषद और श्री हिन्दू तख्त पंजाब और हिन्दू समाज से भी अपील की गई है कि आप भी अपनी सहमति और सुझाव इस पत्र में लिखने के लिए भेज सकते हैं।

अंतरराष्ट्रीय हिन्दू परिषद और श्री हिन्दू तख्त पंजाब की और से लिखी गई चिट्ठी इस प्रकार है
email to : cmo@punjab.gov.in
CC: cs@punjab.gov.in
सेवा में,
श्री भगवंत मान जी
माननीय मुख्यमंत्री
पंजाब सरकार
विषय : पंजाब में हिन्दुओं की आबादी करीब 39% है । पंजाब में हिन्दुओं को अल्पसंख्यक दर्जा देने की मांग।
श्री मान जी,
पंजाब की कुल आबादी 2.8 करोड़ है जिसमें में हिन्दुओं की जनसंख्या कुल आबादी का करीब 39% है। पंजाब में सिखों की जनसंख्या कुल आबादी का करीब 57.68 % है।
माननीय उच्चतम न्यायालय ने भी कहा था
” Minority status shall be decided on the basis of State population and not on National basis ”
आप से अनुरोध है कि पंजाब में हिन्दू अल्पसंख्यक है। जबसे हिन्दू पंजाब में अल्पसंख्यक हुआ है तब से हिन्दुओं की मान मर्यादा, धार्मिक भावनाओं को ठेस पहुंचाने और साथ साथ समाजिक तौर पर भी भेदभाव हो रहा है। पंजाब में हिन्दुओं के मौलिक अधिकारों का भी हनन हो रहा है। धार्मिक भेदभाव होने की वजह से हिन्दुओं को हीनभावना का शिकार होना पड़ रहा है। हिन्दुओं की धार्मिक भावनाओं को ठेस पहुंचाने वालों पर कोई कानून कार्यवाही नहीं होती। जिस वजह से हिन्दू समाज को अपमान का सामना करना पड़ता है।
पंजाब में 1980 से 1990 में आतंकवाद दौर में क़रीब 35000 हिन्दुओं का केवल इस लिए नरसंहार और पंजाब को छोड़कर शरणार्थी बनकर रहना पडा क्यों कि वह हिन्दू थे। हिन्दुओं को बसों से रेल गाड़ियों से और घरों से निकल निकल कर इसलिए मौत की घाट उतार दिया जाता था क्योंकि वह हिन्दू थे, गांवों में रहने वाले हिन्दु परिवारों को अपनी जमीन जायदाद को छोड़कर दिल्ली के शरणार्थी शिविरों में रह कर भिखारियों का जीवन व्यतीत करना पड़ा। शहरों में रह रहे हिंदुओं को अपने कारोबार इस लिए सस्ते में बेचकर भागना पड़ा क्योंकि पंजाब सरकार या किसी भी राजनीतिक पार्टी ने हिन्दुओं की रक्षा नहीं कर रही थी।
1984 को दिल्ली में इंदिरा गांधी की हत्या के बाद कांग्रेसियों ने निर्दोष सिखों का नरसंहार किया तब भाजपा ने और अकालियों ने सिखों को इंसाफ दिलाने के लिए आवाज उठाई।
पंजाब में कांग्रेस, भाजपा और अकालियों के गठबंधनों वाली सरकारें भी आईं और उन्होंने 1984 के नरसंहार पीड़ितों को इंसाफ दिलाने के लिए उस समय की कांग्रेस सरकार पर दोषियों को सजा दिलाने के लिए आंदोलन भी किए। जब केंद्र में भाजपा की सरकार आई तो भाजपा सरकार ने SIT बना कर सिख नस्लकुशी के दोषियों को सजा भी दिलाई और पीड़ित सिख परिवारों को अधिक से अधिक मुआवजा और रहने के लिए फ्लैट और पैसा भी दिया।
परंतु
पंजाब में खालिस्तान के नाम पर हिन्दुओं का नरसंहार करने वालों का आजतक कुछ पता नहीं चला और आतंकवाद पीड़ित हिन्दु परिवारों के लिए किसी भी राजनीतिक दल ने यहां तक कि पंजाब में अकाली-भाजपा गठबंधन वाली सरकार का सुख भोगने वाली भाजपा जो कि अपने आप को हिन्दुओं की पार्टी होने का दावा करती है उसने भी आतंकवाद पीड़ित हिन्दुओं को इंसाफ दिलाने के लिए आवाज नहीं उठाई। सिखों के लिए सिखों के राजनीतिक दल अकालियों ने तो पीड़ित सिखों को इंसाफ दिलाने के लिए संघर्ष भी किया और सरकारों को मजबूर भी कर दिया । परन्तु आतंकवाद पीड़ित हिन्दू परिवारों को इंसाफ दिलाने के लिए न तो भाजपा ने कुछ किया और न ही अकालियों ने हिन्दुओं को इंसाफ दिलाने के लिए कभी भी कोई कदम उठाया।
30 से 40 साल बीत चुके हैं आज तक न तो आतंकवाद पीड़ित हिन्दुओं को इंसाफ मिला और न ही किसी राजनीतिक दल ने खालिस्तान आतंकवाद पीड़ित हिन्दूओं को इंसाफ दिलाने के लिए Judicial Inquiry की मांग की और न ही कभी दोषियों को पकड़ने के लिए SIT की मांग की यहां तक कि 35000 हिन्दुओं का नरसंहार किसने किया उसकी जानकारी इकट्ठा करने की कभी किसी सरकार ने कोशिश आजतक आतंकवाद पीड़ित हिन्दु परिवारों के नरसंहार में मरने वाले हिन्दुओं की संख्या की जानकारी भी सरकार के पास बहुत कम है।
जिससे पता चलता है कि सभी आतंकवाद पीड़ित हिन्दू परिवार को न तो मुआवजा मिला न ही इंसाफ मिला।
पंजाब के अंदर पंजाबी सिख , मुसलमान और ईसाई कलाकार और गायक हिन्दुओं की धार्मिक भावनाओं को ठेस पहुंचाने वाली फिल्में और गाने गाते हैं जब उनपर केस दर्ज करवाते हैं तो उनपर कोई कार्रवाई नहीं होती।
दशहरे वाले दिन भगवान श्री राम का मानावाला अमृतसर में पुतला जलाकर हिन्दुओं की धार्मिक भावनाओं को ठेस पहुंचाई गई।
इस प्रकार पंजाब में हजारों घटनाएं हैं जहां हिन्दुओं को पंजाब में इस लिए जलिल होना पड़ता है क्योंकि हिन्दुओं के मौलिक अधिकारों को इस लिए छीना जाता है क्योंकि हिन्दुओं के सम्मान की रक्षा करने वाली कोई भी संस्था नहीं है हिन्दू अपने आप को पंजाब में असहाय महसूस कर रहे हैं।
इस लिए आप से निवेदन है कि पंजाब में पंजाब के हिन्दुओं को स्वाभीमान से रहने के लिए अल्पसंख्यक घोषित किया जाए।
आर्टिकल 29 और 30 में अल्पसंख्यक शब्द इस्तेमाल किया गया है।
न भारत के संविधान में define है और न ही किसी कानून में।
परन्तु TMA Pai Case में संविधान पीठ ने कहा है कि आप राष्ट्र आधार में Minority identity नहीं करेंगे आप को राज्य के हिसाब से अलग-अलग Minority होगा। यह सब Supreme Court की संविधान पीठ ने कहा था।
इस लिए पंजाब के हिन्दुओं का आप से अनुरोध है कि राज्य के हिसाब से पंजाब में हिन्दुओं को अल्पसंख्यक घोषित किया जाए जिससे कि वह इंसाफ के लिए अपनी आवाज उठा सकें और उन्हें संरक्षण प्राप्त हो सके