न्यूज डेस्क, 15/10/2025
धनतेरस से पहले सोने के भाव फिर से चढ़ गए हैं. हालांकि, लोगों को बढ़ती कीमत से थोड़ी राहत मिली थी और मंगलवार को सोने की कीमते नीचे आई थीं. लेकिन यह टिक नहीं सकी और शाम होने तक यह एक बार बढ़ गई. खुदरा विक्रेताओं और आभूषण विक्रेताओं की भारी त्योहारी खरीदारी के कारण मंगलवार को सोने की कीमतें 2,850 रुपये मजबूत होकर पहली बार 1.30 लाख रुपये प्रति 10 ग्राम के स्तर को पार कर गईं. इस बीच लोगों के दिल में सवाल उठ रहा है कि आखिल सोने की कीमतों में बढ़तोरी क्यों हो रही. ऐसे में अगर आप भी यही सोच रहे तो आज हम आपको इसी बारे में बताने जा रहे हैं.
गोल्ड ETFs, डिजिटल गोल्ड आदि की मांग
सोने की बढ़ती कीमत से सोने के आभूषणों की मांग में नरमी आ सकती है. हालांकि, बढ़ते वित्तीयकरण के कारण गोल्ड ईटीएफ और डिजिटल गोल्ड जैसे डिजिटल सोने के निवेश विकल्पों की मांग में वृद्धि हुई है. इस इंवेस्टमेंट डिमांड ने भी कीमतों को ऊंचा कर दिया है.
केंद्रीय बैंक खरीद रही सेना
भारत, चीन, रूस, जापान और अन्य देशों में केंद्रीय बैंक पिछले 10 वर्षों में सोना खरीदने की होड़ में लगे हुए हैं. केंद्रीय बैंकों द्वारा जोड़ा गया सोना लगभग दोगुना हो गया है. “पिछले 10 वर्षों में दुनिया भर के केंद्रीय बैंकों द्वारा सोना खरीदने की संख्या पिछले 10 वर्षों में लगभग दोगुनी हो गई है.” उदाहरण के लिए, रूस और भारत के केंद्रीय बैंकों ने 10 वर्षों में सोने में 1.6 गुना वृद्धि की है, जबकि चीन ने इसे 1.3 गुना बढ़ाया है.
वैश्विक अनिश्चितता
रूस-यूक्रेन संघर्ष की शुरुआत के बाद से दुनिया ने कई भू-राजनीतिक अनिश्चितताएं देखी हैं, जिनमें पश्चिम एशिया में अशांति और व्यापार-टैरिफ संघर्ष शामिल हैं. अमेरिकी राष्ट्रपति के रूप में डोनाल्ड ट्रंप के आगमन के साथ, व्यापार युद्ध तेज हो गए हैं, जिससे निवेशकों को सोने जैसी सुरक्षित संपत्ति की ओर धकेल दिया गया है.
रुपये के डिप्रेसिएशन सोने के रिटर्न बढ़ता है
उच्च आयात शुल्क के बावजूद भारत लगभग 86 फीसदी सोना आयात करता है. रुपये के डिप्रेसिएशन से आयात की लागत बढ़ जाती है, जिससे घरेलू बाजारों में सोने की कीमतें बढ़ जाती हैं. अपस्टॉक ने टाटा म्युचुअल फंड की एक रिपोर्ट के हवाले से कहा, “उच्च आयात शुल्क के बावजूद लगभग 86 प्रतिशत सोना भारत में आयात किया जाता है. जब USD के मुकाबले रुपये गिरता है, तो घरेलू स्तर पर सोना महंगा हो जाता है, जिससे स्थानीय मांग बढ़ जाती है और सोने की कीमतों में वृद्धि होती है. इसका असर रिटर्न पर भी पड़ता है.”
यूएस फेड रेट में कटौती
अमेरिकी फेडरल रिजर्व द्वारा ब्याज दर में कटौती से सोने की कीमतों में गिरावट आई है. उम्मीद है कि यूएस फेड दरों में और कटौती कर सकता है. इस तरह की दरों में कटौती से डॉलर का डिप्रेसिएशन होता है, जो बदले में सोने की ऊंची कीमतों और मांग को समर्थन देता है.
रिपोर्ट में कहा गया है, “फेड रिजर्व ने 17 सितंबर 2025 को रेट कट में 25 बीपीएस की कटौती की, जिससे सोने की कीमत में तेजी आई. उम्मीद है कि अगर श्रम बाजार में कमजोरी जारी रहती है तो यूएस फेड अक्टूबर की बैठक में रेट में 25 बीपीएस की कटौती कर सकता है. यूएस फेड कोई भी आगे का निर्णय लेने से पहले आगामी आर्थिक आंकड़ों की निगरानी करेगा क्योंकि उसे उच्च मुद्रास्फीति और कमजोर रोजगार दोनों के जोखिम का सामना करना पड़ता है. फेड रेट में कटौती आम तौर पर डॉलर के डिप्रेसिएशन में योगदान करती है, जो बदले में सोने की उच्च मांग और कीमतों का समर्थन करती है.”