खेल डेस्क, 23/03/2025
जालंधर की स्पोर्ट्स इंडस्ट्री में गिरावट के कारण और समाधान !
जालंधर कभी भारत की स्पोर्ट्स इंडस्ट्री का गढ़ माना जाता था। यहां बने क्रिकेट के बल्ले, हॉकी स्टिक, फुटबॉल, वॉलीबॉल और अन्य खेल उत्पादों की मांग न केवल भारत में बल्कि विदेशों में भी थी। लेकिन पिछले कुछ दशकों में यह उद्योग लगातार गिरावट की ओर बढ़ रहा है। सवाल यह उठता है कि जो इंडस्ट्री कभी पूरे देश की शान थी, वह अब संघर्ष क्यों कर रही है? आइए, इसके पीछे के कारणों और संभावित समाधानों पर चर्चा करते हैं।
1. सस्ते चीनी और विदेशी उत्पादों का बढ़ता प्रभाव
जालंधर के स्पोर्ट्स गुड्स की सबसे बड़ी चुनौती चीन और अन्य देशों से आयात होने वाले सस्ते उत्पाद हैं। चीन में बड़े पैमाने पर उत्पादन होने के कारण उनकी लागत कम होती है, जबकि जालंधर के छोटे और मध्यम उद्यम इतने सस्ते दामों पर प्रतिस्पर्धा नहीं कर पाते। नतीजतन, स्थानीय कारोबार कमजोर पड़ने लगे हैं।
2. आधुनिक तकनीक की कमी
जालंधर की स्पोर्ट्स इंडस्ट्री में कई कारोबारी पारंपरिक तरीकों से ही काम कर रहे हैं। आधुनिक मशीनों, ऑटोमेशन और नई तकनीकों को अपनाने की गति धीमी रही है। इससे न केवल उत्पादों की गुणवत्ता पर असर पड़ता है, बल्कि उत्पादन लागत भी ज्यादा होती है।
3. सरकार की उदासीनता और नीतिगत चुनौतियां
पिछले कुछ वर्षों में इस उद्योग को मजबूत करने के लिए कोई विशेष सरकारी नीति नहीं आई। जीएसटी लागू होने के बाद छोटे व्यवसायों को दिक्कतें हुईं, और कई पारंपरिक कारीगरों को अपना काम बंद करना पड़ा। सरकार द्वारा प्रोत्साहन और सब्सिडी की कमी के कारण भी यह उद्योग पिछड़ रहा है।
4. कुशल कारीगरों की कमी
एक समय था जब जालंधर के युवा इस उद्योग में रोजगार तलाशते थे, लेकिन अब नई पीढ़ी इसमें रुचि नहीं दिखा रही। अधिक आकर्षक नौकरियों और विदेश जाने की चाहत के कारण कुशल कारीगरों की संख्या कम होती जा रही है।
5. ऑनलाइन बिक्री और ब्रांडिंग में पिछड़ना
आज की डिजिटल दुनिया में मार्केटिंग और ब्रांडिंग बहुत महत्वपूर्ण हो गई है। लेकिन जालंधर की अधिकांश कंपनियां ऑनलाइन प्लेटफॉर्म्स पर अपनी उपस्थिति दर्ज नहीं करा पाई हैं। बड़ी कंपनियां और ब्रांड अपने उत्पादों को ऑनलाइन बेचकर भारी मुनाफा कमा रही हैं, जबकि जालंधर के पारंपरिक व्यवसाय अभी भी पुराने तरीकों पर निर्भर हैं।
संभावित समाधान
- सरकार की सहायता: जालंधर की स्पोर्ट्स इंडस्ट्री को बचाने के लिए सरकार को विशेष नीतियां बनानी चाहिए, जिससे स्थानीय उद्यमियों को सब्सिडी और टैक्स में राहत मिल सके।
- तकनीक अपनाना: आधुनिक मशीनों और ऑटोमेशन को अपनाने से उत्पादों की गुणवत्ता सुधर सकती है और उत्पादन लागत घट सकती है।
- डिजिटल मार्केटिंग: व्यवसायों को ऑनलाइन प्लेटफॉर्म पर आना होगा, जिससे वे वैश्विक स्तर पर प्रतिस्पर्धा कर सकें।
- युवाओं को जोड़ना: अगर इस इंडस्ट्री को बचाना है, तो नई पीढ़ी को इसमें शामिल करना होगा। इसके लिए स्पेशल ट्रेनिंग प्रोग्राम और स्किल डेवलपमेंट सेंटर खोले जाने चाहिए।
- मेड इन इंडिया को बढ़ावा: “मेक इन इंडिया” और “वोकल फॉर लोकल” जैसे अभियानों के तहत जालंधर की स्पोर्ट्स इंडस्ट्री को प्रमोट किया जा सकता है।
जालंधर की स्पोर्ट्स इंडस्ट्री अभी मुश्किल दौर से गुजर रही है, लेकिन यह पूरी तरह खत्म नहीं हुई है। अगर सही कदम उठाए जाएं, तो यह फिर से अपनी खोई हुई प्रतिष्ठा वापस पा सकती है। जरूरी है कि सरकार, उद्योगपति और स्थानीय लोग मिलकर इस दिशा में काम करें, ताकि जालंधर एक बार फिर से “स्पोर्ट्स गुड्स की राजधानी” बन सके।