चंडीगढ़,22जुलाई 2024
शिरोमणी अकाली दल ने आज 16वें वित्त आयोग से राज्य के करों के हस्तांतरण के लिए अपनाए गए फार्मूले को संशोधित करने के अलावा विविधीकरण की सुविधा के लिए फंड आवंटित करने, राज्य के किसानों के लिए कर्ज माफी की व्यवस्था करने , सीमावर्ती किसानों को मुआवजा देने के लिए नियमित अनुदान तय करने, उद्योग को बढ़ावा देन के लिए कर रियायतें, ग्रामीण विकास निधि (आरडीएफ) और सर्व शिक्षा अभियान के बकाया जारी करने, एफसीआई के खातों में निपटान करने और अनटाइड फंड के रूप में फंड जारी करने की अपील की है।
इसने रावी-ब्यास जल के विकास और उपयोग पर 1955 के अंतर-राज्यीय सम्मेलन का हवाला देते हएु राज्य के साथ की गई ऐतिहासिक गलतियों को सुधारने का आहवाहन किया, जिसके तहत नाॅन रिपेरियन राजय राजस्थान को 8 एमएएफ पानी दिया गया था। इसने कहा कि उस मीटिंग में फैसला लिया गया था कि पानी की लागत अलग से ली जाएगी, लेकिन 69साल के बाद भी इस पर फैसला नही लिया गया है। इसने कमिशन से केंद्र सरकार को पंजाब को उसकी बकाया राशि का भुगतान करने की सिफारिश करने का भी आहवाहन किया। इसी तरह अकाली दल ने चंडीगढ़ को पंजाब को हस्तांतरित करने और राज्य के पुनर्गठन के दस साल के भीतर राजधानी को खाली करने में हरियाणा की नाकामी के कारण राज्य को देय सभी आय का भुगतान करने की भी मांग की है।
16वें वित्त आयोग की मीटिंग में भाग लेते हुए वरिष्ठ अकाली नेता सरदार महेशइंदर सिंह ग्रेवाल और डाॅ. दलजीत सिंह चीमा ने कहा कि पंजाब में सार्वजनिक कर्जा 3.43 लाख करोड़ रूपये के खतरनाक आंकड़े पर पहुंच गया है तथा जीएसडीपी के मुकाबले कर्ज का अनुपात 49 फीसदी है, जिससे पूंजीगत व्यय के लिए नामात्र धनराशि बची है।
संघवाद के सिद्धांत पर काम करने की आवश्यकता को दोहराते हुए, जिसे पार्टी ने 1973 में आनंदपुर साहिब प्रस्ताव पारित करके बरकरार रखा था, अकाली दल के प्रतिनिधिमंडल ने राज्य के करों के हस्तांतरण के लिए नए सिरे से काम करने का आहवाहन किया। इसने कहा कि टैक्स के विकेंद्रीकरण को 41 फीसदी से बढ़ाकर 50 फीसदी किया जाना चाहिए और करों के क्षैतिज हस्तांतरण के तहत देश के परिवार नियोजन कार्यक्रम का समर्थन करने के लिए राज्य को पीड़ित नही किया जाना चाहिए। इसने इस बात पर भी जोर डालते हुए कहा कि कैसे राज्य को हथियारों और नशीले पदार्थों की सीमा पार तस्करी के कारण आंतरिक सुरक्षा पर सबसे अधिक खर्च करना पड़ा और साथ ही इस तथ्य के साथ की राज्य में अनुसूचित जातियों की सबसे अधिक आबादी है।
सरदार महेशइंदर सिंह ग्रेवाल और डाॅ. दलजीत सिंह चीमा दोनेां ने भूजल की कमी को रोकने के लिए एक प्रमुख विविधीकरण योजना की आवश्यकता पर प्रकाश डाला और इसकी नहरों की जल वहन क्षमता में सुधार के लिए विशेष अनुदान की अपील की। उन्होने अर्ध पहाड़ी क्षेत्रों के बुनियादी ढ़ांचे के विकास के लिए कंडी क्षेत्र अनुदान को पुनजीर्वित करने का भी आहवाहन किया। उन्होने कहा कि कर्ज माफी समय की मांग है , क्योंकि केंद्र की दीर्घकालिक किसान विरोधी नीतियों के कारण राज्य की कृषि अर्थव्यवस्था गड़बड़ा गई है, जिसने छोटे और सीमांत किसानों को कर्ज में डूबो दिया है और किसान आत्महत्याओं में बहुत ज्यादा बढ़ोतरी हुई है। उन्होने राज्य के सीमावर्ती जिलों में कंटीले तारों की बाड़ के पार जमीन पर खेती करने वाले किसानों के लिए एक नियमित और विशिष्ट अनुदान तय करने की भी मांग की है। नेताओं ने यह भी मांग की कि पड़ोसी पहाड़ी राज्यों को पहले दी गई रियायतों की तर्ज पर राज्य में उद्योगों को टैक्स में रियायतें दी जानी चाहिए।
अकाली दल के प्रतिनिधिमंडल ने केंद्र द्वारा ग्रामीण विकास फंड(आरडीएफ) जारी करने पर रोक लगाने पर भी कड़ा संज्ञान लिया और बिना किसी देरी के पूरी लंबित राशि राज्य को जारी करने की मांग की। इसने कहा कि ग्रामीण बुनियादी ढ़ांचे, खासकर अनाज मंडियों और ग्रामीण सड़कों के रखरखाव के लिए यह जरूरी है। इसने कहा कि सर्व शिक्षा अभियान के तहत केंद्र द्वारा रोके गए फंडों को भी राज्य को जारी किया जाना चाहिए और एफसीआई के खातों का निपटान किया जाना चाहिए। इसने कहा कि राज्य को भी अनटाइड फंड के रूप में फंड जारी किया जाना चाहिए और केंद्र प्रायोजित योजनाओं की वर्तमान प्रणाली को हतोत्साहित किया जाना चाहिए। इसने कहा कि राज्यों को अपनी राज्य विशिष्ट योजनाओं की योजना बनाने का अधिकाऱ दिया जाना चाहिए।
अकाली नेताओं ने आयोग से अपील की कि वह केंद्र से वाघा-अटारी बाॅर्डर के माध्यम से पाकिस्तान के साथ तुरंत व्यापार खोलने की सिफारिश करे, जिससे राज्य की वित्तीय स्थिति में सुधार होगा।