बीकानेर, 16/10/2025
बीकानेर का नाम भुजिया के तीखापन व रसगुल्ले की मिठास के लिए पूरी दुनिया में पहचान रखता है. बात जब दीपावली की हो तो जब तक घर में बीकानेर के रसगुल्ले और नमकीन नहीं पहुंचती हैं तब तक त्योहार अधूरा लगता है. वैसे तो पूरे साल ही बीकानेर में रसगुल्ला और भुजिया का कारोबार अपने चरम पर होता है, लेकिन दिवाली जैसे बड़े त्योहार पर लोग गिफ्ट के रूप में मिठाई और नमकीन देते हैं. इनमें पहली पसंद बीकानेर के रसगुल्ले और नमकीन की होती है
दीपावली पर रसगुल्ला और भुजिया की बढ़ जाती है बिक्री
बीकानेर के मिठाई कारोबारी श्रीराम अग्रवाल कहते हैं कि बीकानेर में सालों से यह व्यवसाय है और हम चौथी पीढ़ी में इस परंपरा को आगे बढ़ा रहे हैं. हर साल दीपावली पर रसगुल्ला और भुजिया की बिक्री आम दिनों के मुकाबले और ज्यादा बढ़ जाती है. गिफ्ट पैकिंग का प्रचलन जब से शुरू हुआ है तब से बाहर दूसरे शहरों से भी खूब ऑर्डर आते हैं. इसके अलावा रसगुल्ले और भुजिया की अलग-अलग पैकिंग के ऑर्डर भी मिलते रहे हैं.
बीकानेर का रसगुल्ला और भुजिया का अपना एक स्वाद है
रियासतकाल में 18वीं शताब्दी में शुरू हुआ ये कारोबार आज शिखर पर परचम लहरा रहा है. बीकानेर की आर्थिक धुरी कही जाने वाली भुजिया और रसगुल्ला कारोबार का वर्तमान में करीब 5 हजार करोड़ से ज्यादा का टर्न ओवर है. बीकानेर के एक और व्यापारी योगेश रावत कहते हैं कि बीकानेर का रसगुल्ला और भुजिया का अपना एक स्वाद है, जो देश में दूसरी जगह नहीं मिलता. हालांकि, मिठाइयां खूब बन रही हैं, लेकिन जब दिवाली की मिठाई देने की बात आती है तो उसमें रसगुल्ला और भुजिया की डिमांड होती है. यही कारण है कि जो भी रसगुल्ला और भुजिया बनाता है वह भी अपने गिफ्ट पैक में इन दोनों आइटम को जरूर रखता है
महीने पहले बुकिंग हो जाती है
योगेश कहते हैं कि दीपावली का सीजन बड़ा होता है और इसके लिए महीने पहले बुकिंग हो जाती है. हालांकि, रसगुल्ला और भुजिया दोनों ही खाने के आइटम हैं और उनकी एक लाइफ साइकिल होती है इसलिए दीपावली से कुछ दिन पहले इनकी सप्लाई की जाती है. दीपावली के समय में 24 घंटे सभी फैक्ट्रियां चालू रहती हैं.
यहां के रसगुल्ले में स्पंज ज्यादा होता है और भुजिया में कुरकुरापन
बीकानेर का रसगुल्ला और भुजिया यहां के मौसम के चलते कई दिन तक खराब नहीं होता है. इस कारण यहां के रसगुल्ले में स्पंज ज्यादा होता है और भुजिया में कुरकुरापन ज्यादा होता है जो कि यहां के मौसम की देन है. पहले रसगुल्ला और भुजिया पूरी तरह से हाथ से ही बनते थे, लेकिन अब धीरे-धीरे बदलते युग में मशीनों का भी उपयोग होने लग गया है. अधिकतर फैक्ट्रियों में आज भी हाथ से ही भुजिया और रसगुल्ला बनाया जाता है.
बीकानेर नाम ही ब्रांड है
बीकानेर की भुजिया और रसगुल्ला किसी एक ब्रांड का नहीं बल्कि बीकानेर के नाम से ही प्रसिद्ध है. यही कारण है कि देश में अलग-अलग शहरों में बड़े-बड़े आउटलेट बीकानेर नमकीन के नाम से खोले गए हैं. भले ही उन लोगों का बीकानेर से कोई संबंध नहीं हो, लेकिन बीकानेरी रसगुल्ला और भुजिया की प्रति लोगों की चाहत के चलते ही इस नाम से कारोबार हो रहा है. संगठित रूप से यह उद्योग बीकानेर में संचालित नहीं हो रहा और अलग-अलग फैक्ट्री में कारोबार हो रहा है. बावजूद इसके बीकानेर में यह उद्योग प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष लाखों लोगों के रोजगार का एक जरिया है