साहिबज़ादा अजीत सिंह नगर, 20/10/2024
मोहाली की धरती पर पहली बार आयोजित सरस मेले के दौरान पूर्वी राजस्थान के भरतपुर डींग क्षेत्र के नगाड़ा कलाकार नगाड़ा बजाते हुए लोक नृत्य से मेलार्थियों का स्वागत करते हैं। मेले में सांस्कृतिक प्रस्तुतियों के प्रभारी प्रो. गुरबख्शीश सिंह अंटाल के अनुसार देश की बहु-सांस्कृतिक संस्कृति को बढ़ावा देने के लिए विभिन्न राज्यों के लोक कलाकारों को विशेष रूप से मेले में आमंत्रित किया गया है ताकि युवा पीढ़ी को भारत की समृद्ध लोक कलाओं और लोक गीतों और लोक नृत्यों से अवगत कराया जा सके।

मेले में पहुंचे नागरा ग्रुप के बारे में जानकारी देने वाले ग्रुप लीडर शाहरुख के मुताबिक यह लोक नृत्य उनके पूर्वजों से लेकर मुगलों और राजपूत राजाओं के समय से चला आ रहा है. जब खानवा के मैदान में राजपूत राजा राणा सांगा का मुगलों से युद्ध हुआ।उस अवसर पर विजय की खुशी के प्रतीक के रूप में वीरता की गाथा नागर लोक नृत्य का प्रदर्शन किया गया। उसके बाद राजपूत घरों में हर खुशी के मौके का इजहार नगाड़ा बजाकर किया जाता है।यह लोक नृत्य राजस्थान के अलावा उत्तर प्रदेश में भी लोकप्रिय है। यह लोक नृत्य नायक और नायिका के रूप में कलाकारों द्वारा नागारा-नगाड़ी, ढोलक, खंजरी, मजीरा, झंडी और हारमोनियम जैसे लोक वाद्ययंत्रों का उपयोग करके किया जाता है।

इन कलाकारों ने मेला अधिकारी-सह-अतिरिक्त उपायुक्त सोनम चौधरी का आभार व्यक्त किया कि उन्हें बाबा बंदा सिंह बहादुर जी की लासानी वीरता के प्रतीक के रूप में प्रसिद्ध भूमि में इस मेले में भाग लेने का अवसर मिला और उन्हें नगाड़ा बजाने का मौका मिला उन शहीदों की धरती पर वीरता के गीत गाने के लिए।