चंडीगढ़ 23 मार्च 2024
एफडीपी के अंतिम दिन की शुरुआत प्रतिनिधियों के साथ आत्म-चिंतन के साथ हुई और तदनुसार, हमारे महान स्वतंत्रता सेनानी शहीद-ए-आजम एस. भगत सिंह के सम्मान में दो मिनट का मौन रखा गया। प्रत्येक व्यक्ति में सही समझ, परिवारों में समृद्धि, समाज में विश्वास और निर्भयता और प्रकृति के साथ सह-अस्तित्व के माध्यम से समाज और प्रकृति के साथ स्वयं के सामंजस्य का आत्मनिरीक्षण विस्तृत किया गया, जिसे मानव मूल्यों की शिक्षा, आत्म-नियमन के माध्यम से प्राप्त किया जा सकता है। ईमानदारी से काम करना, संरक्षण करना और आदान-प्रदान करना, जिससे सभी स्तरों पर सह-अस्तित्व अस्तित्व में रहे।
एआईसीटीई विशेषज्ञ श्री अजय कुमार पाल ने अपनी बात इस टिप्पणी के साथ समाप्त की कि यद्यपि आज एफडीपी का आखिरी दिन है लेकिन यह एफडीपी (विकास कार्यक्रम) का अंत नहीं है, बल्कि इससे प्रतिनिधियों में कई नई शुरुआत होगी। व्यक्तिगत और व्यावसायिक जीवन। एफडीपी का समापन सभी प्रतिनिधियों द्वारा आत्म-प्रतिबिंब सह फीडबैक सत्र के साथ हुआ। विशिष्ट अतिथि प्रोफेसर मनु शर्मा, प्रोफेसर प्रशांत गौतम, सह-मेजबान प्रोफेसर प्रोफेसर जीआर चौधरी और मेजबान प्रोफेसर शंकर सहगल और यूएचवी सेल से डॉ. गरिमा जोशी भी उपस्थित थे।