चंडीगढ़, 11/09/2025
‘समृद्धि और सुरक्षा को सशक्त बनाना: एक स्वतंत्र और विश्वसनीय हिंद-प्रशांत क्षेत्र के लिए अमेरिका-भारत ऊर्जा नवाचार’ विषय पर दो दिवसीय अंतर्राष्ट्रीय कार्यशाला आज पीएचडी चैंबर्स, चंडीगढ़ में संपन्न हुई। इस कार्यक्रम की मेजबानी अमेरिकन सेंटर, नई दिल्ली स्थित नेक्सस स्टार्टअप हब, अमेरिकी दूतावास, नई दिल्ली; कनेक्टिकट विश्वविद्यालय (यूकॉन); पंजाब राज्य विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी परिषद (पीएससीएसटी), आईआईटी रोपड़ और पीएचडी चैंबर ऑफ कॉमर्स एंड इंडस्ट्री (पीएचडीसीसीआई) ने संयुक्त रूप से की। यह कार्यशाला एक अनूठा मंच साबित हुई जिसने विशेषज्ञों, स्टार्टअप्स, विश्वविद्यालयों और शोध संस्थानों को एक साथ लाकर हिंद-प्रशांत क्षेत्र की ऊर्जा सुरक्षा को मज़बूत करने और ऊर्जा क्षेत्र में नवाचार को बढ़ावा देने के लिए संयुक्त समाधानों पर विचार-विमर्श किया।
उद्घाटन सत्र को नई दिल्ली स्थित अमेरिकी दूतावास में अमेरिकी राजनयिक श्री निकोलस डिनार्डो ने संबोधित किया, जिन्होंने क्षेत्रीय स्थिरता और समृद्धि के लिए भारत के साथ संयुक्त ऊर्जा समाधानों को आगे बढ़ाने की अमेरिकी प्रतिबद्धता पर ज़ोर दिया। पीएससीएसटी के संयुक्त निदेशक डॉ. दपिंदर बख्शी ने स्वच्छ ऊर्जा नवाचारों को बढ़ावा देने और स्टार्टअप-आधारित समाधानों को बढ़ावा देने में पंजाब की सक्रिय भूमिका पर प्रकाश डाला। अवद-आईआईटी रोपड़ की सीईओ डॉ. राधिका त्रिखा ने शैक्षणिक संस्थानों द्वारा प्रौद्योगिकी विकास और उद्योग संबंधों को बढ़ावा देने की आवश्यकता पर बल दिया। कनेक्टिकट विश्वविद्यालय में वैश्विक उद्यमिता कार्यक्रम के निदेशक डॉ. टोलगा तुर्कर ने ऊर्जा नवाचार के लिए भारत और अमेरिका के बीच उद्यमशीलता सेतु बनाने के महत्व पर ज़ोर दिया।
‘वॉयसेज़ ऑफ़ विज़न’ विषय पर मुख्य सत्र में, बार्क-मुंबई के परमाणु नियंत्रण एवं योजना विंग के प्रमुख डॉ. अरुण कुमार नायक ने भविष्य की ऊर्जा आवश्यकताओं को स्थायित्व और सुरक्षा के साथ पूरा करने में परमाणु ऊर्जा की भूमिका पर प्रकाश डाला। ब्रिगेडियर (डॉ.) संजीव चोपड़ा (वेटरन) ने ‘ऊर्जा नवाचार एक महत्वपूर्ण मोड़’ पर अपने संबोधन में एलएनजी व्यापार, परमाणु सहयोग और एआई-संचालित ऊर्जा परिवर्तन में भारत-अमेरिका के बीच मज़बूत सहयोग का आह्वान किया। यूकॉन ग्लोबल की इन-कंट्री डायरेक्टर सुश्री दिव्या राजपूत द्वारा समन्वित सत्र में, अभिनव झा (एएसपीएल फ्यूजन) ने ऊर्जा सुरक्षा को मज़बूत करने में परमाणु ऊर्जा की भूमिका पर विचार-विमर्श किया।
‘ऊर्जा नवाचार’ सत्र में, आईआईटी रोपड़ के प्रो. धीरज के. महाजन और प्रो. असद साहिर ने हाइड्रोजन प्रौद्योगिकियों में अपनी शोध पहल प्रस्तुत की, जिसमें ईंधन सेल झिल्लियों के स्वदेशीकरण और स्वच्छ हाइड्रोजन उत्पादन के तरीकों में नवाचारों की आवश्यकता पर विशेष जोर दिया गया। इंजीनियर मगनबीर सिंह ने धान की पराली के बाहरी प्रबंधन को आगे बढ़ाने और स्वच्छ ईंधन की ओर उद्योग के निरंतर परिवर्तन में पीएससीएसटी की भूमिका पर प्रकाश डाला। इस संवाद में अगली पीढ़ी के ऊर्जा समाधानों को आकार देने में बहु-विषयक अनुसंधान और नवाचार की क्षमता पर प्रकाश डाला गया।
‘ऊर्जा नवाचार पारिस्थितिकी तंत्र का निर्माण’ विषय पर आयोजित सत्र में एनविनोवा, भारत के संस्थापक और सीईओ श्री अर्जुन मित्तल, चितकारा विश्वविद्यालय, पंजाब के एसोसिएट डीन डॉ. अरिक खन्ना, एसएसएस-एनआईबीई के डॉ. वंदित विजय ने भारत के उद्यमिता परिदृश्य पर चर्चा की, तथा व्यावसायीकरण में तेजी लाने के लिए विश्वविद्यालयों, दीर्घ-चक्र अवसंरचना परियोजनाओं और अमेरिकी समकक्षों के साथ सहयोगात्मक मार्गों के महत्व पर बल दिया।
ऊर्जा सुरक्षा स्टार्टअप इकोसिस्टम पर एक अन्य पैनल में ए2पी एनर्जी सॉल्यूशंस, भारत के सीईओ श्री सुखमीत सिंह, एसएसीसी, भारत के सीईओ श्री विनीत खुराना और आईपैनलक्लीन सोलर, भारत के सीईओ श्री सुचिन जैन शामिल थे, जिन्होंने स्केलेबल ऊर्जा समाधान प्रदान करने और आर्थिक लचीलेपन में योगदान देने में स्टार्टअप की महत्वपूर्ण भूमिका पर जोर दिया।
स्टार्टअप शोकेस में पाँच नवोन्मेषी उद्यमों ने स्वच्छ ऊर्जा समाधान प्रस्तुत करके लोगों का ध्यान आकर्षित किया। iPanelKlean Solar ने अपनी सौर पैनल सफाई तकनीक पेश की जो धूल हटाने, जल संरक्षण और तकनीशियनों की सुरक्षा पर ज़ोर देती है। ARES सिस्टम्स ने हाइड्रोजन-संचालित भविष्य के अपने दृष्टिकोण को प्रस्तुत किया जिसमें भारी-भरकम गतिशीलता और औद्योगिक अनुप्रयोगों के लिए ईंधन कोशिकाओं पर आधारित ऊर्जा भंडारण और रूपांतरण प्रणालियाँ, साथ ही इलेक्ट्रोलिसिस द्वारा हाइड्रोजन उत्पादन भी शामिल है। Huskage Innovations ने प्रदर्शित किया कि कैसे स्थानीय जैव-जनित अवशेषों को कार्बन-नकारात्मक और वितरित तरीके से हरित हाइड्रोजन और संबद्ध उत्पादों में परिवर्तित किया जा सकता है।
समापन सत्र में श्री निकोलस डिनार्डो (अमेरिकी दूतावास), डॉ. टोलगा तुर्कर (यूकॉन), डॉ. दपिंदर बख्शी (पीएससीएसटी), और डॉ. मुकेश केस्टवाल (आईआईटी रोपड़) ने अपने विचार व्यक्त किए। विशेषज्ञों ने उभरती ऊर्जा चुनौतियों से निपटने और सुदृढ़ प्रणालियाँ बनाने में सीमा-पार साझेदारी के महत्व पर ज़ोर दिया। ऊर्जा सुरक्षा को नवाचार से जोड़कर, कार्यशाला ने भारत-अमेरिका अनुसंधान सहयोग, संयुक्त उद्यमों और प्रौद्योगिकी पायलटों के लिए नए रास्ते खोले। इसने स्वच्छ ऊर्जा उद्यमिता के केंद्र और वैश्विक ऊर्जा लचीलेपन को बढ़ावा देने में एक रणनीतिक साझेदार के रूप में पंजाब की बढ़ती भूमिका पर भी ज़ोर दिया।