चंडीगढ़, 18/03/2025
शिरोमणी अकाली दल ने आज पंजाब और हरियाणा से केंद्र शासित प्रदेश में तैनात कर्मचारियों की डेपुटेशन की अवधि को तय 60ः40 कोटे के खिलाफ इसे सीमित करने के चंडीगढ़ प्रशासन के प्रस्ताव का कड़ा विरोध किया है।
यहां एक प्रेस बयान जारी करते हुए अकाली दल के वरिष्ठ नेता डाॅ. दलजीत सिंह चीमा ने कहा कि यह प्रस्ताव दोषपूर्ण, आधारहीन और गलत तरीके से तैयार किया गया है। उन्होने कहा,‘‘ यह पंजाब के पुनर्गठन के समय केंद्र सरकार द्वारा पंजाब और हरियाणा को दिए गए पूराने वादों की अनदेखी करते हुए तैयार किया गया है। यह पंजाब और हरियाणा दोनों के हितों के खिलाफ है इसीलिए इसे तत्काल वापिस लिया जाना चाहिए।’’
डाॅ. चीमा ने कहा कि यह बेहद दुर्भाग्यपूर्ण है कि कांग्रेस और आम आदमी पार्टी दोनों ही इस मुददे को समझने में नाकाम रही हैं और इस कदम की सराहना करके जाल में फंस गए हैं। उन्होने कहा,‘‘असली मुददा यह है कि पंजाब और हरियाणा के अधिकारियों को यूटी से बाहर करने का प्रयास शुरू किया गया है। इस कदम के पीछे जो लोग हैं, उन्हे पता है कि एक बार जब आप एक निश्चित समय के बाद कर्मचारियों को हटाना शुरू करते हैं तो खासकर शिक्षा और चिकित्सा के क्षेत्रों में कोई प्रतिस्थापन नही होता। यूटी ने डेपुटेशन समाप्त होने के बाद चंडीगढ़ के पास कोई खाली स्टेशन मिलना मुश्किल है और यही कारण है कि केवल वे कर्मचारी जो राजधानी यां उसके आसपास बसने की योजना बनाते हैं वे ही डेपुटेशन को पंसद करते हैं।’’
वरिष्ठ अकाली नेता ने यह भी कहा कि यू.टी प्रशासन को यह समझना चाहिए कि पंजाब और हरियाणा के अधिकारी चंडीगढ़ में डेपुटेशन पर नही चल सकते। उन्होने कहा,‘‘ पहली बात तो यह कि उन्हे कोई डेपुटेशन भत्ता नही मिल रहा है। उन्हे पंजाब के पुनर्गठन के समय तय 60ः40 के अनुपात के तहत कर्मचारियों की नियुक्ति की जाती है। यह भी ध्यान रखा जाना चाहिए कि चंडीगढ़ केवल अस्थायी रूप से यूटी था और इसका पंजाब में तबादला किया जाना था, क्योंकि यह पंजाब का एक अभिन्न अंग था और इसे पंजाब के दर्जनों गांवों को विस्थापित करके बनाया गया था। पंजाब और हरियाणा के कर्मचारियों को चंडीगढ़ में उनकी संबंधित सरकारों द्वारा उनके कोटे के अनुसार तैनात किया जाता है और डेपुटेशन की शर्तों को सीमित करके उन्हे परेशान नही किया जाना चाहिए।’’