चंडीगढ़, 6/06/2025
पंजाब के मुख्य निर्वाचन अधिकारी सिबिन सी ने बताया कि मुख्य निर्वाचन आयुक्त ज्ञानेश कुमार, निर्वाचन आयुक्त डॉ. सुखबीर सिंह संधू और डॉ. विवेक जोशी के नेतृत्व में भारतीय चुनाव आयोग द्वारा चुनावों के बाद इंडेक्स कार्ड और विभिन्न आंकड़ा रिपोर्टें तैयार करने के लिए एक सुव्यवस्थित और तकनीकी रूप से उन्नत प्रणाली लागू की गई है। यह नवीनतम प्रणाली पुरानी मैनुअल विधियों का स्थान लेगी, जो अक्सर समय लेने वाली और विलंबकारी होती थीं। ऑटोमेशन और डेटा इंटीग्रेशन की मदद से यह नया तरीका रिपोर्टिंग को तेज और अधिक सटीक बनाएगा।
गौरतलब है कि इंडेक्स कार्ड चुनावों के बाद की आंकड़ा रिपोर्टिंग के लिए एक प्रारूप है, जिसे भारतीय चुनाव आयोग द्वारा शोधकर्ताओं, शिक्षा विशेषज्ञों, नीति निर्माताओं, पत्रकारों और आम जनता सहित सभी हितधारकों को निर्वाचन क्षेत्र स्तर पर चुनाव संबंधी आंकड़ों की सुगम पहुंच सुनिश्चित करने के लिए विकसित किया गया है। इस इंडेक्स कार्ड में उम्मीदवारों, मतदाताओं, डाले गए मतों, गिने गए मतों, पार्टीवार और उम्मीदवारवार मतों की हिस्सेदारी, लिंग आधारित मतदान रुझान, क्षेत्रीय विविधताएं और राजनीतिक दलों के प्रदर्शन जैसी श्रेणियों में आंकड़ों को साझा किया जाता है।
यह इंडेक्स कार्ड लोकसभा चुनावों के लिए लगभग 35 और विधानसभा चुनावों के लिए 14 आंकड़ा रिपोर्टों को तैयार करने में सक्षम है। ये रिपोर्टें राज्य/संसदीय क्षेत्र/विधानसभा क्षेत्र के अनुसार मतदाता विवरण, मतदान केंद्रों की संख्या, राज्य और क्षेत्र अनुसार मतदान प्रतिशत, महिला मतदाताओं की भागीदारी, राष्ट्रीय/राज्य स्तरीय पार्टियों तथा पंजीकृत गैर-मान्यता प्राप्त राजनीतिक दलों के प्रदर्शन, विजयी उम्मीदवारों का विश्लेषण, क्षेत्रवार परिणाम और संक्षिप्त रिपोर्टों जैसी श्रेणियों में आंकड़े प्रस्तुत करती हैं।
ये आंकड़े चुनावों पर गहन शोध के लिए उपयोगी होते हैं और लोकतांत्रिक विमर्श को भी सशक्त बनाते हैं। हालांकि, ये आंकड़ा रिपोर्टें केवल शैक्षणिक और शोध उद्देश्यों के लिए हैं और यह इंडेक्स कार्ड पर आधारित द्वितीयक आंकड़ों पर आधारित होती हैं, जबकि वास्तविक और अंतिम आंकड़े संबंधित रिटर्निंग अधिकारियों द्वारा दिए गए विधिक प्रपत्रों में होते हैं।
पूर्व में यह जानकारी निर्वाचन क्षेत्र स्तर पर विभिन्न नियमों के तहत निर्धारित प्रपत्रों में भरकर, फिजिकल इंडेक्स कार्डों के माध्यम से ऑनलाइन सिस्टम में दर्ज कर आंकड़ा रिपोर्टें तैयार की जाती थीं। यह मैनुअल और बहु-स्तरीय प्रक्रिया समय लेने वाली होती थी और अक्सर डेटा की उपलब्धता और साझाकरण में देरी का कारण बनती थी।