चंडीगढ़, 29 फरवरी 2024
दिल का दौरे पड़ने पर कीमती जानें बचाने के लिए समय पर इलाज मुहैया करवाना यकीनी बनाने के लिए मुख्य मंत्री भगवंत सिंह मान के नेतृत्व वाली पंजाब सरकार ने आज इंडियन कौंसिल आफ मैडीकल रिर्सच (आई.सी.एम.आर.) के सहयोग के साथ पंजाब एस.टी.ई.एम.आई. प्रोजैक्ट शुरू किया, जो सरकारी सेकैंडरी स्वास्थ्य सुविधाओं को दिल के दौरे समय मरीज़ की जान बचाने के लिए समय पर कलौट बस्टर ड्रग टेनैकटेपलेस लगा कर थ्रोमबोलाईसिस इलाज देने के लिए समर्थ बनाता है। इस प्रोजैक्ट का नाम मिशन अमृत ( एक्यूट मायओकारडियल रीवैसकुलराईज़ेशन इन टाईम) रखा गया है।

पंजाब के स्वास्थ्य और परिवार भलाई मंत्री डा. बलबीर सिंह ने आज यहाँ इस प्रोजैक्ट की शुरुआत करते हुए बताया कि इस प्रोजैक्ट के अंतर्गत 25000 रुपए से 35000 रुपए तक का टेनैकटेपलेस टीका मुफ़्त लगाया जा रहा है। यह टीका दिल के ख़ून के परवाह को बनाए रखने में मदद करता है।
उन्होंने कहा कि मुख्य मंत्री भगवंत सिंह मान के नेतृत्व वाली सरकार के पास राज्य में विश्व स्तरीय स्वास्थ्य सुविधाओं को यकीनी बनाने के लिए फंडों की कोई कमी नहीं है।
पायलट प्रोजैक्ट जो कि शुरू में दो जिलों लुधियाना और पटियाला में लागू किया गया था और जिसको बाद में छह अन्य जिलों में लागू किया गया, की सफलता के बाद यह प्रोजैक्ट राज्य भर में शुरू किया जा रहा है। पायलट पड़ाव में, एस.टी.ई.एम.आई. प्रोजैक्ट के अंतर्गत लगभग 2833 मरीज़ रजिस्टर किए गए और सेकैंडरी स्वास्थ्य सुविधाओं में स्टाफ द्वारा कम से-कम 209 मरीजों को थ्रोमबोलाईसिस दिया गया।
डा. बलबीर सिंह ने बताया कि यह एस.टी.ई.एम.आई.पंजाब प्रोजैक्ट एक हार्ट अटैक मैनेजमेंट प्रोगराम है, जो सरकारी अस्पतालों में ‘हब एंड स्पोक’ माडल पर शुरू किया गया है, जिसके साथ दिल के दौरे के मरीज़ का इलाज औसतन 90 मिनट कम समय में किया जा सकेगा। स्पोकस को सेकंडरी हैलथकेयर के तौर पर, जबकि हबस को तीसरे दर्जे के अस्पताल कहा गया है।

उन्होंने कहा कि पहले यहाँ दो हब- डीएमसी एंड एच लुधियाना और जीएमसीएच- 32 चंडीगढ़ थे और अब पटियाला, फरीदकोट, अमृतसर के सरकारी मैडीकल कालेजों और एमज़ बठिंडा सहित चार अन्य अस्पतालों को शामिल किया गया है, जबकि कुल 64 स्पोकस है, जिनमें सभी ज़िला अस्पताल और सब- डिविज़न अस्पताल शामिल है।
स्वास्थ्य मंत्री ने बताया कि दिल के दौरे के लक्षण दिखने वाले मरीजों को पहले 108 एंबुलेंस के द्वारा स्पोकस सैंटर में शिफ्ट किया जाएगा और वहाँ से उनकी स्थिति के आधार पर मरीजों को हब अस्पतालों में शिफ्ट किया जाएगा।
स्पोक सैंटरें में ईसीजी मशीनें, माहिर डाक्टरों और नर्सों सहित शुरुआती डायगनौस्टिक उपकरण और पैरा मैडीकल स्टाफ उपलब्ध होगा। उन्होंने कहा कि स्पोक सैंटरों के डाक्टर डाक्टरी सलाह के लिए हब सैंटरों के साथ सलाह करेंगे और उसके अनुसार आगे वाली इलाज प्रक्रिया मुहैया करवाई जाएगी।
प्रोफ़ैसर और डीएमसीएच लुधियाना के कारडीयोलाजी के प्रमुख डा. बिशव मोहन ने कहा कि लोगों को दिल के दौरे के लक्षणों के बारे में जागरूक होने की ज़रूरत है, जिसको आम तौर पर लोग गैस्टरोइंटेस्टीनल समस्या समझ कर अनदेखा कर देते है। उन्होंने आगे कहा कि इस्केमिक दिल की बीमारी भारत में मौत का सबसे बड़ा कारण है। इस पहुँच के साथ यह यकीनी बनाया जाता है कि मरीजों को सही समय पर अति- आधुनिक इलाज मुहैया करवाया जाए, जिसके साथ उनके बचने की संभावनाएं बढ सकें।
इस मौके साईंटिस्ट- जी आईसीएमआर नयी दिल्ली डा. मीनाक्षी शर्मा, एमज़ नयी दिल्ली के प्रोफ़ैसर कारडीयोलाजी डा. रामाकृष्णन, एमडी एनएचएम और सचिव स्वास्थ्य और परिवार भलाई डा.अभिनव त्रिखा, एमडी पीएचएससी वरिन्दर कुमार शर्मा, डायरैक्टर स्वास्थ्य डा. आर्दशपाल कौर, डायरैक्टर परिवार भलाई डा. हितिन्दर कौर, जीएमसीएच- 32 चंडीगढ़ में कारडीयोलाजी के प्रोफ़ैसर और प्रमुख डा.श्रीनिवास रैडी और एसपीओ एनपी- एनसीडी डा. सन्दीप सिंह गिल उपस्थित थे।
एस.टी.ई.एम.आई. क्या है?
ऐस्टी- ऐलीवेशन माईओकारडियल इन्फार्कशन ( एस. टी. ई. एम. आई.) एक किस्म का दिल का दौरा है जो और ज्यादा गंभीर होता है और इस में गंभीर स्वास्थ्य समस्याएँ और मौत का और ज्यादा जोखिम होता है। इनफरैकशन दिल की मांसपेशियों मायओकारडियम में ख़ून के परवाह की ब्लाकेज़ है। इस ब्लाकेज़ के कारण दिल की मांसपेशियां डैड् हो जाती है। इस लिए ख़ून के परवाह को जल्द बहाल करके नुक्सान को स्थायी होने से रोका जा सकता है या नुक्सान की गंभीरता को कम किया जा सकता है।