मुंबई, 16/10/2025
करिश्मा कपूर के एक्स हसबैंड और दिवंगत बिजनेसमैन संजय कपूर की विरासत की लड़ाई ने एक नया मोड़ ले लिया है, जब उनके बच्चों, समायरा और कियान राज ने उनकी वसीयत की प्रामाणिकता को खुलेआम चुनौती दी है. करिश्मा कपूर के बच्चों ने दिल्ली हाईकोर्ट को बताया कि वसीयत में संजय कपूर के लिए ‘फेमिनन प्रोनाउन’ का इस्तेमाल किया गया
प्रिया सचदेव कपूर पर 30,000 करोड़ रुपये की संपत्ति के साथ हेरफेर के आरोप
वरिष्ठ अधिवक्ता महेश जेठमलानी के जरिए, करिश्मा कपूर के बच्चों ने अपनी सौतेली मां प्रिया सचदेव कपूर पर 30,000 करोड़ रुपये की संपत्ति के साथ हेरफेर और जालसाजी करने का आरोप लगाया है. इसे लेकर उन्होंने दिल्ली हाईकोर्ट का रूख किया. मंगलवार, 14 अक्टूबर को वादी की ओर से पेश होते हुए वरिष्ठ अधिवक्ता महेश जेठमलानी ने दस्तावेज में साफ गलतियों की ओर इशारा करते हुए कहा कि ऐसा लगता है कि इसकी भाषा और खंड संजय कपूर द्वारा लिखे गए नहीं हैं
ऑथर संजय कपूर नहीं हो सकते ?
समायरा और कियान राज की ओर से पेश हुए वकील ने न्यायमूर्ति ज्योति सिंह के समक्ष यह दलील दी. यह दलील उनके पिता की वसीयत को चुनौती देने वाली याचिका पर सुनवाई के दौरान दी गई वकील ने कहा कि एक सवाल यह है कि वसीयत पर संजय कपूर के हस्ताक्षर थे या किसी महिला के? वकील ने कोर्ट को बताया, ‘इस खंड के ऑथर संजय कपूर नहीं हो सकते. संबंधित खंड वसीयतकर्ता संजय कपूर की हैंडिवर्क या डिजाइन नहीं हैं.’ उन्होंने तर्क दिया कि वसीयत में वसीयतकर्ता का उल्लेख स्त्रीलिंग रूप में भी किया गया है, जिसमें चार जगहों पर ‘शी’ (She) और ‘हर’ (Her)जैसे शब्दों का प्रयोग किया गया है, जो यह संदेह पैदा करता है कि संजय कपूर अपनी पूरी जानकारी के साथ इसे कैसे लिख सकते थे.’ इसे बेतुका बताते हुए उन्होंने सुझाव दिया कि संजय कपूर ने ‘एक महिला के रूप में हस्ताक्षर’ किए हैं
गलती का कोई स्पष्टीकरण नहीं दिया गया: वकील
उन्होंने आगे कहा कि इस गलती का कोई स्पष्टीकरण नहीं दिया गया है. वकील ने कहा, ‘अगर संजय दिमागी तौर पर ठीक नहीं थे और वह पढ़ नहीं पा रहे थे, तो वह इस पर हस्ताक्षर ही नहीं कर सकते थे. यह फेमिनन प्रोनाउन से भरा हुआ है. इसमें उनकी अंतिम वसीयत, उनकी गवाही और उनकी उपस्थिति का जिक्र है.’ उन्होंने कहा कि ऐसा मसौदा कपूर की समझ वाले किसी व्यक्ति द्वारा नहीं बनाया जा सकता और इसे जालसाजी का सबूत बताया
सौतेली मां प्रिया कपूर और अन्य प्रतिवादी इस बारे में चुप हैं !
उन्होंने आगे कहा कि बच्चों की सौतेली मां प्रिया कपूर और अन्य प्रतिवादी इस बारे में चुप हैं कि वसीयत किसने तैयार की है. उन्होंने कहा, ‘इसमें ऐसा क्या छिपा है कि आप इसे लाभार्थियों को नहीं देना चाहते? हमारा मामला बिल्कुल साफ है कि यह वसीयतकर्ता की वसीयत नहीं है और ऐसे मामलों में हर संदिग्ध परिस्थिति से निपटने की जिम्मेदारी उन (प्रतिवादियों) पर है. यहां हमारे सामने एक बुनियादी सवाल है कि वसीयत पर वसीयतकर्ता ने हस्ताक्षर किए थे या घोषणा-पत्र में किसी महिला ने.’ दिनभर की सुनवाई के बाद कोर्ट ने इस मामले को एक नई तारीख दी है. अब इस मामले की सुनवाई को बुधवार को फिर से शुरू करेगी.