करनाल। भारत सरकार ने देश के एक करोड़ घरों को सौर ऊर्जा संयंत्रों से युक्त कर ऐसे प्रत्येक घर को हर माह 300 यूनिट तक निःशुल्क बिजली के हक़दार बनाने की दिशा में क़दम बढ़ा दिए हैं। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा श्री राम लला के प्राण प्रतिष्ठा समारोह के अवसर पर किए गए ऐलान को आज वित् मंत्री निर्मला सीतारमन ने अपने बजट भाषण में बजटीय प्रावधान कर अमलीजामा पहनाने की व्यवस्था कर डाली। भारतीय जनता पार्टी के प्रदेश प्रवक्ता डॉ वीरेंद्र सिंह चौहान ने केंद्र सरकार के अंतरिम बजट पर टिप्पणी करते हुए यहाँ जारी वक्तव्य में कहा कि अयोध्या में लिया गया संकल्प अब करोड़ों घरों की छतों पर सौर संयंत्रों के रूप में दिखेगा और करोड़ों देशवासियों के घर आँगन और मन इससे रोशन होते हुए नज़र आएंगे।
डॉ. चौहान ने कहा कि पूर्व की सरकारों में जहाँ सत्ता को स्वार्थ साधना का माध्यम बनाया था वहीं भारतीय जनता पार्टी के नेतृत्व में केंद्र और राज्यों की सरकारें सरकार को सेवा और राष्ट्र-साधना का माध्यम बनाकर काम कर रही है। ऐसा न होता तो देश के हज़ारों गांवों को बिजली पाने के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की सरकार बनने का इंतज़ार न करना पड़ता। पूर्ववर्ती प्रतिपक्षी सरकारों के कर्ताधर्ता यदि जनसाधारण की चिंता करते तो 10 करोड़ घरों में ऐसे ना होते जो नरेंद्र मोदी की सरकार बनाने तक गैस के चूल्हे का इंतज़ार कर रहे थे। उन्होंने कहा कि वित् मंत्री निर्मला सीतारमन ने अपने बजट भाषण में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा दिए गए मूल मंत्र के अनुसार एक बार फिर से दोहराया है कि देश में चार प्रमुख जातियों पर ध्यान केंद्रित कर काम होना चाहिए। यह जातियाँ जन की जातियाँ न होकर ग़रीब, महिला,युवा और अन्नदाता किसान के रूप में पहचानी जा सकती है। उन्होंने कहा कि ग़रीब का कल्याण देश का कल्याण है, यह भाव अंतरिम बजट में स्पष्ट रूप से झलकता है।
डॉ. चौहान ने कहा कि देश की कमान दशकों तक कांग्रेस व अन्य विपक्षी दलों के हाथ में रही। मगर 78 लाख रेहड़ी फड़ी वालों की चिंता वर्तमान सरकार ने ही की। प्रदेश भाजपा प्रवक्ता डॉ वीरेन्द्र सिंह चौहान ने कहा कि किसानों के नाम पर धरने प्रदर्शन और नारेबाज़ी करने वाले लोग बरसों तक सरकारी खजानों को लूटते रहे हैं मगर किसी ने देश के 80 लाख किसानों को किसान सम्मान निधि के माध्यम से लाभ पहुँचाने का काम नहीं किया।
उन्होंने कहा कि आर्थिक मोर्चे पर भारत के आगे बढ़ते क़दम दुनिया भर की रेटिंग एजेंसियों को साफ़ दिखाई दे रहे हैं मगर विपक्षी दल आज भी रुदाली-मोड से बाहर नहीं निकल पा रहे।