नई दिल्ली, 17/10/2024
एच.के.एस सुरजीत भवन नई दिल्ली में आयोजित संयुक्त किसान मोर्चा की आम सभा की बैठक ने डिजिटल कृषि मिशन (डीएएम) के जरिए उर्वरक सब्सिडी में बड़ी कटौती करने के माध्यम से कृषि को कॉर्पोरेट क्षेत्र को सौंपने की गैर-जवाबदेह योजनाओं के लिए एनडीए-3 सरकार की निंदा की। आम सभा में स्वीकृत गए एक प्रस्ताव में एसकेएम ने आरोप लगाया है कि डिजिटल कृषि मिशन कृषि के कॉर्पोरेटीकरण की दिशा में काम करेगा और अनुबंध खेती को बढ़ावा देने के जरिए बहुराष्ट्रीय कंपनियों के वर्चस्व को स्थापित करेगा। डीएएम इस वर्ष 6 करोड़ किसानों की भूमि और फसलों को डिजिटल बनायेगा और अगले कुछ वर्षों में 9.3 करोड़ किसानों तक इसका विस्तार किया जाएगा। एसकेएम ने राष्ट्रीय सहयोग नीति की घोषणा के कदम का भी कड़ा विरोध किया है, क्योंकि यह नीति राज्यों के संघीय अधिकारों का उल्लंघन करती है। भूमि और कृषि के साथ सहकारिता भी राज्य सूची में है।
एसकेएम आमसभा के अध्यक्ष मंडल में जगमोहन सिंह, हन्नान मोल्ला, राजन क्षीरसागर, पद्मा पश्याम, जोगिंदर सिंह नैने, सिदगौड़ा मोदागी और डॉ. सुनीलम शामिल थे। डॉ. दर्शन पाल ने रिपोर्ट रखी और पी कृष्णप्रसाद ने समापन टिप्पणी की।
26 नवंबर 2024 को 500 जिलों में चेतावनी रैली :
आम सभा ने पूरे देश के किसानों से 26 नवंबर 2024 को जिला मुख्यालयों पर चेतावनी रैली में शामिल होने का आह्वान किया है। यह रैली 2020 में किसानों के ऐतिहासिक संसद मार्च और मजदूरों की आम हड़ताल की चौथी वर्षगांठ के अवसर पर आयोजित की जाएगी। किसानों का यह संघर्ष 384 दिनों तक जारी रहा और इसने एनडीए-2 सरकार को भारतीय संसद में कुख्यात 3 कृषि अधिनियमों को निरस्त करने के लिए मजबूर किया था। यह रैली केंद्रीय ट्रेड यूनियनों के संयुक्त मंच, अन्य ट्रेड यूनियन संगठनों और खेत मजदूर संगठनों के मंच के साथ मिलकर आयोजित की जाएगी। एसकेएम को उम्मीद है कि रैली देश भर के लगभग 500 जिलों में आयोजित की जाएगी। इस रैली के जरिए किसानों की मांगों के अलावा मजदूरों, खेत मजदूरों और बंटाईदार किसानों की मांगों को भी उठाया जाएगा।
6 प्रमुख मांगें :
एसकेएम ने किसानों से बड़ी संख्या में शामिल होकर इस देशव्यापी रैली को यादगार बनाने की अपील की है। यह रैली कृषि क्षेत्र के कॉरपोरेटीकरण के खिलाफ आयोजित की जा रही है और 6 प्रमुख मांगों को पूरा करने की मांग के लिए है। मांगें इस प्रकार है :
- सभी फसलों के लिए कानूनी रूप से गारंटीकृत खरीद के साथ एमएसपी@सी-2+50%
- किसानों की आत्महत्या को रोकने के लिए एक सर्वसमावेशी ऋण माफी योजना और ऋणग्रस्तता से मुक्ति
- बिजली क्षेत्र का निजीकरण न हो — कोई प्रीपेड स्मार्ट मीटर न लगाया जाएं
- कॉरपोरेट कंपनियों के लिए अंधाधुंध भूमि अधिग्रहण बंद हो, और
- फसलों और पशुपालन के लिए सार्वजनिक क्षेत्र में व्यापक बीमा योजना लागू की जाएं।
- Rs.10000/ मासिक पेनषन लागू की जाएं।
50000 गांवों को कवर करने के लिए 7 से 25 नवंबर 2024 तक जन अभियान :
एसकेएम की राज्य स्तरीय समन्वय समितियां राज्य स्तर पर ट्रेड यूनियनों और खेत मजदूर यूनियनों के साथ संयुक्त बैठकें आयोजित करेंगी और किसानों और सभी मेहनतकश लोगों के बीच मांगों को लोकप्रिय बनाने के लिए 7 नवंबर से 25 नवंबर तक बड़े पैमाने पर अभियान चलाएगी। एसकेएम के घटक संगठन जिलों में वाहन जत्थे और पदयात्राएँ निकालेंगे, जो प्रत्येक जिले में 100 गाँवों को कवर करेंगे और घर-घर जाकर पर्चे और मांग पत्र बाँटेंगे। एसकेएम का यह अभियान पूरे देश के 50000 गाँवों में चलाया जाएगा।
एसकेएम की आम सभा में केन्द्रीय ट्रेड यूनियनों की मांगों का समर्थन किया गया, जिसमें 4 श्रम संहिताओं को निरस्त करना, 26000 रुपये प्रतिमाह का राष्ट्रीय स्तर पर न्यूनतम वेतन लागू करना, सार्वजनिक क्षेत्र का निजीकरण न करना, राष्ट्रीय मुद्रीकरण पाइपलाइन (एनएमपी) को समाप्त करना और श्रम में ठेकेदारी प्रथा को समाप्त करना शामिल है।
साथ ही न्यूनतम वेतन और सामाजिक सुरक्षा के लिए खेत मजदूरों की मांगों का समर्थन किया गया और मनरेगा में 200 दिन काम देने और 600 रुपये प्रतिदिन मजदूरी देने तथा इस योजना को कृषि, पशुपालन और वाटरशेड आधारित योजना से जोड़ने की मांग की गई।
इस दिन संयुक्त मांगपत्र जिला कलेक्टरों के माध्यम से प्रधानमंत्री को सौंपा जाएगा।
आम सभा की बैठक में एनडीए-3 सरकार को तीन महीने का अल्टीमेटम देने का संकल्प लिया गया। यदि इस समय के भीतर मांगों को लागू नहीं किया गया, तो एसकेएम को ट्रेड यूनियनों, खेत मजदूरों और बंटाईदार किसानों के संगठनों के साथ समन्वय करके बड़े पैमाने पर अनिश्चितकालीन और देशव्यापी कॉर्पोरेट विरोधी संघर्ष करने के लिए मजबूर होना पड़ेगा। जब तक कि सभी मांगें पूरी नहीं हो जातीं, यह संघर्ष जारी रहेगा।
आम सभा की बैठक में जम्मू कश्मीर के लोगों को, खासकर किसानों को, भाजपा को दंडित करने के लिए बधाई दी गई तथा हरियाणा के लोगों को भाजपा के खिलाफ बहुमत से मतदान करने के लिए बधाई दी गई। किसान आंदोलन की अपर्याप्त एकता के कारण ही कम मत लेने के बावजूद भाजपा एक बार फिर सत्ता में आ गई। एसकेएम ने देश भर के किसानों से अपनी वास्तविक मांगों के समर्थन में मुद्दा आधारित अधिकतम एकता बनाने तथा कृषि के निगमीकरण के खिलाफ लड़ाई को तेज करने का आह्वान किया है।
आम सभा ने आगामी विधानसभा चुनावों में “भाजपा को बेनकाब करो, उसका विरोध करो और उसे दंडित करो” के नारे के साथ महाराष्ट्र और झारखंड के किसानों के बीच अभियान चलाने का निर्णय लिया है ।
बैठक में पांच दक्षिणी राज्यों केरल, कर्नाटक, तमिलनाडु, आंध्र प्रदेश ‘ तेलंगाना और कर्नाटक के किसान संगठनों के नेतृत्व को 7-8 अक्टूबर 2024 को बैंगलोर में सफलतापूर्वक बैठक आयोजित करने के लिए बधाई दी गई। बैठक में 68 किसान संगठनों के 377 किसान नेताओं ने भाग लिया, जिन्होंने 15 नवंबर 2024 से पहले संबंधित राज्यों में एसकेएम के राज्य स्तरीय सम्मेलन आयोजित करने का निर्णय लिया है। बैठक में दिसंबर 2024 के पहले सप्ताह में एसकेएम की पूर्वी राज्यों की नेतृत्व की बैठक आयोजित करने का भी निर्णय लिया गया।
बैठक में खेत मजदूर संगठनों और काश्तकार संघों के मंचों को आम मांगों पर मुद्दा आधारित संयुक्त और समन्वित कार्रवाई पर चर्चा करने के लिए एक संयुक्त बैठक के लिए आमंत्रित करने का निर्णय लिया गया।