चंडीगढ़ 05 मार्च 2024
एक ऐतिहासिक घटनाक्रम में शिरोमणी अकाली दल केा आज बहुत बड़ा बढ़ावा मिला, जब उसके अध्यक्ष सरदार सुखदेव सिंह ढ़ींडसा के नेतृत्व में अलग हुए शिरोमणी अकाली दल (संयुक्त) का ‘‘पंथ और पंजाब को मजबूत करने के लिए’’ अकाली दल अध्यक्ष की मौजूदगी विलय हो गया। इस विलय को पंजाब को पटरी पर लाने की संयुक्त जिम्मेदारी बताते हुए अकाली दल (संयुक्त) के अध्यक्ष सरदार सुखदेव सिंह ढ़ींडसा ने कहा,‘‘ हमारे नेताओं और कार्यकर्ताओं में पंथ में एकता लाने के लिए इस विलय के लिए जबरदस्त भावना थी। इसके अलावा पार्टी को लगा कि सरदार सुखबीर सिंह बादल ने 2015 में हुई बेअदबी के मामलों पर हार्दिक खेद व्यक्त किया इसीलिए मैने कल पार्टी के जिला प्रधानों की एक मीटिंग बुलाई तथा उन्होने इस विलय को हरी झंडी दे दी।’’
इससे पहले अकाली दल अध्यक्ष ने पार्टी की वरिष्ठ लीडरशीप के साथ-साथ संगरूर जिले की पूरी लीडरशीप के साथ सरदार ढ़ींडसा के आवास गए। बाद में सरदार ढ़ींडसा के आवास पर पत्रकारों को संबोधित करते हुए सरदार सुखबीर सिंह बादल ने विलय को ‘‘ दो परिवारों का विलय’’ करार दिया। उन्होने सरदार ढ़ींडसा से अकाली दल के संरक्षक के रूप में जिम्मेदारी लेने की अपील की क्योंकि वह सरदार परकाश सिंह बादल के निधन के बाद सबसे वरिष्ठ नेता हैं। उन्होने कहा कि सरदार ढ़ींडसा ने सरदार बलविंदर सिंह भूंदड़ जैसे वरिष्ठ नेताओं के साथ मिलकर सरदार परकाश सिंह बादल के साथ निजी कीमतें देने के बाद अकाली दल का निर्माण किया था। उन्होने आज शिरोमणी अकाली दल(संयुक्त) से जुड़े शिरोमणी कमेटी के सदस्यों सहित अकाली दल में शामिल होने वाले सभी नेताओं को पूरा मान और सम्मान देने का आश्वासन दिया। इस अवसर पर उन्होने पूर्व वित्तमंत्री सरदार परमिंदर सिंह ढ़ींडसा का स्वागत करते हुए पंजाब के प्रति उनके योगदान की सराहना की।
अकाली दल अध्यक्ष ने उन सभी अकाली नेताओं से, जो किसी न किसी बहाने से पार्टी को छोड़ चुके हैं , उनसे दोबारो से अपनी माँ पार्टी में शामिल होने की अपील जारी करते हुए कहा,‘‘ अकेले अकाली दल ही पंजाबियों की आकांक्षाओं की रक्षा करने में सक्षम है।’’ उन्होने कहा, ‘‘ मैं सभी से माफी मांगने के लिए तैयार हूं’’। पत्रकारों के एक सवाल का जवाब देते हुए उन्होने दोहराया, ‘‘ मैं बीबी जागीर कौर जी से हाथ जोड़कर अपील करता हूं कि वे अपनी पार्टी में वापिस लौट आएं।’’
इससे पहले पत्रकारों के सवालों का जवाब देते हुए सरदार सुखदेव सिंह ढ़ींडसा ने कहा कि वह अपनी पार्टी के सदस्यों के साथ अकाली दल में फिर से शामिल हो गए, क्योंकि पंजाब के लिए यह बेहद जरूरी है। उन्होने कहा,‘‘ आपने देखा है कि कल विधानसभा में क्या हुआ। पंजाबियों ने कभी किसी मुख्यमंत्री को इस तरह से व्यवहार करते हुए नही देखा है। इसके अलावा कानून और व्यवस्था पूरी तरह से चरमरा गई है और किसानों, वंचित वर्गों और व्यापार और उद्योग के खिलाफ भेदभाव का मुकाबला करने के लिए अकाली दल में एकता की बहुत ज्यादा जरूरत है। उन्होने कहा कि उन्होने हमेशा सुखबीर सिंह बादल को हमेशा अपने बेटे की तरह माना है और अकाली दल अध्यक्ष के रूप में उनका नाम प्रस्तावित किया था।