चंडीगढ़, 28 फरवरी:
पंजाब का खेलों के साथ पक्का रिश्ता है। इस धरती पर पैदा हुए खिलाडिय़ों ने देश और दुनिया में नाम चमकाया है। पिछले कुछ दशकों में राष्ट्रीय स्तर पर पंजाब पिछड़ गया था, जिसे लेकर मौजूदा सरकार बहुत गंभीर है। मुख्यमंत्री स. भगवंत सिंह मान के नेतृत्व अधीन राज्य सरकार पंजाब की खेलों में फिर से पुरानी शान बहाल करने के लिए प्रयास कर रही है, जिसकी शुरुआत नयी खेल नीति से हुई। यह बात पंजाब के खेल मंत्री गुरमीत सिंह मीत हेयर ने आज यहाँ एक खेल मैगज़ीन द्वारा करवाई ‘स्पोर्टस कॉन्क्लेव’ के उद्घाटन के अवसर पर भाषण देते हुए कही। इस अवसर पर उन्होंने विश्व कप विजेता हॉकी ओलम्पियन ब्रिगेडियर हरचरन सिंह और जूनियर भारतीय क्रिकेट टीम के कप्तान उदय सहारन को सम्मानित भी किया।

मीत हेयर ने कहा कि राज्य में खेल सभ्याचार पैदा करने के लिए पिछले दो सालों से निरंतर कार्य किये जा रहे हैं, जिसके सार्थक परिणाम पिछले साल एशियन गेम्ज़ के दौरान सामने आए, जब पंजाब के 32 खिलाडिय़ों ने 72 साल के रिकॉर्ड तोड़ते हुए 20 पदक जीते। नयी खेल नीति के अंतर्गत हर खेल की तैयारी के लिए नकद इनाम राशि रखी गई। पहली बार एशियन गेम्ज़ में हिस्सा लेने गए 58 पंजाबी खिलाडिय़ों को तैयारी के लिए 8 लाख रुपए प्रति खिलाड़ी दिए गए। अब ओलम्पिक खेलों की तैयारी के लिए 15 लाख रुपए प्रति खिलाड़ी दिए जाएंगे। 1000 खेल नर्सरी स्थापित की जा रही हैं, जिसमें से पहले फेज में 260 नर्सरियों की शुरुआत कर दी गई है।

खेल मंत्री ने कहा कि सरकार का मुख्य ध्यान निचले स्तर पर प्रतिभा की पहचान कर उसे आगे बढऩे के अवसर देना है। ट्रायल भी हर जगह लिए जा रहे हैं। जिस इलाके में जो खेल अधिक प्रसिद्ध है, उसी खेल की नर्सरी दी जा रही है। पदक विजेता खिलाडिय़ों के लिए 500 पदों का अलग काडर बनाया गया है, जिसके लिए खिलाडिय़ों को नौकरी की गारंटी मिलेगी। उन्होंने कहा कि केवल दो साल से कम समय के दौरान स्टेट, नेशनल और इंटरनेशनल स्तर के विजेता 24,164 पंजाबी खिलाडिय़ों को कुल 74.96 करोड़ रुपए की राशि बाँटी जा चुकी है