चंडीगढ़ 7फरवरी: पूर्व केंद्रीय मंत्री बीबा हरसिमरत कौर बादल ने आज राज्य की अर्थव्यवस्था को बहाल करने के लिए पाकिस्तान के साथ अंतरराष्ट्रीय सीमा के माध्यम से व्यापार फिर से खोलने की अपील की तथा साथ ही उन्होने चंडीगढ़ को पंजाब को देकर पंजाबियों के घावों पर मरहम लगाने तथा राज्य को अपने दरिया के पानी पर पूर्ण नियंत्रण देने का भी आग्रह किया। संसद में बजट पर बहस पर भाग लेते हुए बीबा हरसिमरत कौर बादल ने कहा,‘‘ पंजाब के खिलाफ की गई ऐतिहासिक गलतियों को सुधारना अत्यंत महत्वपूर्ण है’’। उन्होने कहा कि चंडीगढ़ पंजाब का अविभाज्य हिस्सा है और केंद्र शासित प्रदेश को जल्द से जल्द राज्य में स्थानांतरित किया जाना चाहिए। उन्होने कहा कि यह बेहद दुर्भाग्यपूर्ण है कि राजीव-लोंगोवाल समझौते में इस संबंध में स्पष्ट शर्त के बावजूद ऐसा नही किया गया। उन्होने कहा कि पंजाबी को यूटी की आधिकारिक भाषा घोषित किया जाना चाहिए और यूटी में पोस्टिंग क्रमशः 60ः40 के अनुपात में की जानी चाहिए। दरिया के पानी के मुददे पर बोलते हुए बठिंडा सांसद ने कहा कि कांग्रेस सरकारों ने पहले राज्य का आधा पानी राजस्थान को देकर और फिर हरियाणा को अतिरिक्त पानी देने के लिए सतलुज यमुना लिंक(एसवाईएल) नहर बनाकर राज्य के साथ भेदभाव किया। उन्होने कहा कि नदी तटीय सिद्धांत के अनुसार पंजाब को नदी जल पर पूर्ण नियंत्रण दिया जाना चाहिए। उन्होने कहा,‘‘ आइए हम तय करें कि हम इस पानी के साथ क्या करना चाहते हैं ,इसे बेचना भी शामिल है’’। उन्होने भाखड़ा ब्यास प्रबंधन बोर्ड (बीबीएमबी) के प्रबंधन में पंजाब के अधिकारों को बहाल करने का भी आग्रह किया।
बीबा बादल ने अंतरराष्ट्रीय सीमा के साथ भारतीय क्षेत्र में कंटीली तार की बाड़ के पार खेत वाले सीमावर्ती किसानों की समस्याओं के बारे में बोलते हुए कहा,‘‘ इन किसानों को अपने खेतों में जाने के दौरान गंभीर प्रतिबंध का सामना करना पड़ता है’’। उन्होने कहा कि भले ही पूर्व प्रधानमंत्री श्री अटल बिहारी वाजपेयी ने कंटीली तार के पार 21हजार एकड़ जमीन जोतने वाले किसानों को मुआवजा दिया था। उन्हे पिछले दो सालों से मुआवजा नही दिया गया है। उन्होने सीमावर्ती जिलों को पिछड़े जिलों के रूप में नामित करने और उन्हे विशेष अनुदान के लिए पात्र बनाने के अलावा खडूर साहिब में एक पीजीआई सैटेलाइट सेंटर स्थापित करके सीमावर्ती बेल्ट में शिक्षा और स्वास्थ्य सुविधाओं को बढ़ाया जाना चाहिए। उन्होने बठिंडा एम्स की क्षमता 300 बिस्तरों तक बढ़ाने का आग्रह किया। बठिंडा सांसद ने महाराष्ट्र सरकार श्री हजूर साहिब प्रबंधन बोर्ड के पुनर्गठन के अपने फैसले को वापिस लेने की मांग की। उन्होने कहा कि एसजीपीसी और मुख्य खालसा दीवान जैसे सिख संस्थानों की भूमिका को हाशिये पर डाल दिया है। उन्होने उत्तराखं में ज्ञान गोदड़ी गुरुद्वारा, सिक्किम में डांगमार साहिब और उड़ीसा में मंगू मठ को सिख समुदाय के लिए बहाल करने का आहवाहन किया है। बीबा बादल ने आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं का भत्ता बढ़ाने की भी मांग की।